Monday, July 13, 2015

किस्मत

चराग़ जला के रखे थे किसी ने राहों में,   
की लग जाए ना ठोकर किसी को, 
ये तो राहगीर की किस्मत थी, 
कि ख़ुदा भूल गया देना चश्म में नूर को !

 

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